मक्का – मक्का फ़ीड में ऊर्जा (एनर्जी )का मुख्य स्रोत है ! और पचने में आसान और भंडारण ( स्टोर ) करने में आसान ज्यादातर देशों में मक्का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है !सूखे मक्के में लगभग 3350 kcal/kg ऊर्जा होती है ! और 8 से 13 % तक प्रोटीन होता है ! और मक्के को 70 प्रतिशत तक पोल्ट्री फीड में मिलाया जा सकता है ! मक्का हमेशा सूखा और फंगस मुक्त होना चाहिये ! और मक्के में नमी हर हाल में 13.5 प्रतिशत से कम होनी चाहिये !
सूखा मक्के में नमी कम होने से पोल्ट्री फीड में ऊर्जा और प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाने से आपके पोल्ट्री फार्म पर ब्रायलर पक्षी का विकास ( ग्रोथ )बहुत अच्छा होता है !
मक्के में नमी की जाँच करने का सही तरीका !– वैसे तो मक्के में नमी की जांच के लिये नमी जाँचने का मीटर होता है ! परन्तु कुछ परम्परागत तरीके से भी नमी जांच की जा सकती है !
इसकेलिये आपको एक सूखी साफ़ सुथरी कांच की पारदर्शी बोतल ले लें उसमे थोड़ी सी मक्की और घर में उपयोग होने वाला साधारण सूखा नमक डाल दें और 2-3 मिनट तक अच्छे से हिलायें ! अगर नमक बोतल पर चिपक रहा हो तो समझें मक्के में नमी का स्तर ज्यादा है और वो भंडारण करने के लायक नहीं है ! अगर ऐसे मक्के का भंडारण किया जाए तो उसमे फंगस और अन्य नुक्सान देने वाले तत्त्व विजिट होकर मक्के को बर्बाद कर सकते है और फ़ीड की गुणवत्ता पूरी तरह बाधित हो जायेगी !
सोयाबीन की खली -सोयाबीन की खली प्रोटीन का बेहतर स्रोत है ! इसमें 45-49% तक प्रोटीन होता है ! सोयाबीन की खली में लाइसिन ,थ्रेओनीन और ट्रीप्टोफेन भरपूर मात्रा में होती है !सोयाबीन में कुछ फंगस या नुक्सान पहुंचाने वाले तत्त्व होते है ! जिसे फैक्ट्री में कुछ गर्मी देकर सही किया जाता है ! इसलिए खरीदते वक़्त ये ध्यान रखें की सोयाबीन अच्छी गुणवत्ता का हो !पोल्ट्री फीड में सोयाबीन की खली 35 प्रतिशत तक मिलायी जा सकती है !
पोल्ट्री फीड में तेल -पोल्ट्री फीड में अधिक ऊर्जा देने के लिये तेल मिलाया जाता है ! तेल विटामिन A, D, E,और K के अच्छे वाहक के तौर पर भी काम करता है ! पोल्ट्री फीड के फ़ॉर्मूलें में पाम , सोयाबीन ,चावलों , सूरजमुखी के तेल और अन्य तरह के तेलों का उपयोग किया जा सकता है !पोल्ट्री फीड फ़ॉर्मूलें में तेल ज्यादातर तेल 4 प्रतिशत तक ही मिलाते देखा गया है !
लाइम पत्थर पावडर -पोल्ट्री फीड फ़ॉर्मूलें में ज़रूरत के अनुसार पत्थर पॉवडर मिलाया जाता है ! यह पोल्ट्री फीड में कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिये मिलाया जाता है !जो पक्षी की हड्डियों के विकास में अच्छी भूमिका अदा करता है !
डाई कैल्शियम फास्फेट -पोल्ट्री फीड में डाई कैल्शियम फास्फेट फास्फोरस और कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिये मिलाया जाता है ! खासतौर पर शाकाहारी फीड के फ़ॉर्मूलें में इसका उपयोग जरूर होता है !
सोडियम क्लोराइड ( नमक ) -ब्रायलर पक्षी को पोल्ट्री फीड फॉर्मूले में सोडियम 0.12% to 0.2% की जरूरत होती है ! वैसे मक्के और सोया में कुछ सोडियम होता है ! परन्तु फॉर्मूले के आधार पर अलग से भी नमक मिलाया जाता है !
अगर फीड के फॉर्मूले में सोडियम कम होने से पक्षी का विकास कम होता है और पक्षी सुस्त रहने लगता है ! कईं बार तुरंत मरने लगता है और पेट में पानी भरने की समस्या भी बढ़ने लगती है !
और कई बार ऐसा भी देखा गया है कि कईं बार पक्षी अन्य पक्षी को ही चोंच मार मार कर जख्मी करने लगता है !
सोडियम बाई कॉर्बोनेट ( मीठा सोडा ) -पोल्ट्री फीड में सोडियम बाई कॉर्बोनेट मिलाने से पक्षी की फीड की लागत में वृद्धि देखी गयी है और पक्षी का बेहतर विकास होता है !
ऐसी बहुत सी रिसर्च हुई है और ये पाया गया है ,कि फीड में मीठा सोडा मिलाने से फीड के पचने की क्षमता में वृद्धि होती है !
मेथिओनीन – मेथिओनीन पोल्ट्री फीड में मिलाने से पक्षी के विकास में वृद्धि होती है ! और फीड के फॉर्मूले का संतुलन बनाने में भी मदद मिलती है !
लाइसिन –लाइसिन की सही मात्रा कैल्शियम को पक्षी के शरीर में सही तरह से पचाने पक्षी के अच्छे विकास और फीड की लागत को कम करने में सहायक होती है ! और फीड के फॉर्मूले का संतुलन बनाने में भी मदद मिलती है !
थ्रेओनीन – पोल्ट्री फीड में थ्रेओनीन मिलाने से पोल्ट्री के पक्षी का विकास बेहतर होता है और सीने के मांस में अधिक वृद्धि देखी गयी है !
खनिज लवण का मिश्रण -पोल्ट्री में खनिज लवण का मिश्रण मिलाया जाता है ! अनेकों कंपनियां ब्रायलर फीड के हिसाब से खनिज लवण बनाती है !लेकिन भाव की प्रतिस्पर्धा के कारण खनिज लवण के मिश्रण में सही मात्रा में सेलेनियम और क्रोमियम नहीं मिलाती ! इसलिए अलग से पोल्ट्री फीड में सेलेनियम और क्रोमियम जरूर मिलाना चाहिये ! आप सेलेनियम और क्रोमियम किसी भी अच्छी कंपनी का उनकी बतायी गयी डोज़ के अनुसार देना चाहिये !
अगर आप पोल्ट्री फीड में खनिज लवण 10 प्रतिशत तक बड़ा सकते है ! कई बार इससे अच्छे परिणाम देखे गए है !
ब्रायलर प्रीमिक्स विटामिन मिश्रण – अनेकों कम्पनियाँ ब्रायलर फीड के लिए विटामिनों का मिश्रण बनाती है ! परन्तु कईं बार देखा गया है , लागत और प्रतिस्पर्धा को देखता हुए कुछ कंपनियां
विटामिनों के मिश्रण में विटामिन E ,C और बायोटिन सही मात्रा में नहीं मिलाती जिससे फीड में अच्छे परिणाम नहीं मिलते ! इसलिये अलग से विटामिन E ,C और बायोटिन पोल्ट्री फीड में जरूर मिलाना चाहिये !
ब्रायलर प्रीमिक्स की डोज़ भी आप 10 % तक बड़ा सकते है ! इसके भी बेहतर परिणाम देखे गए है !
माइको टोक्सिन बाइंडर -परम्परागत तौर पर पोल्ट्री किसान टोक्सिन बाइंडर का उपयोग करते है !यह भी ठीक है परन्तु माइको टोक्सिन बाइंडर का उपयोग टोक्सिन बाइंडर से ज्यादा बेहतर होता है !
माइको टोक्सिन बाइंडर अनेकों तरह की टॉक्सिसिटी ( विषैले पदार्थ ) के दुष्प्रभाव को कम या दूर करते है ! अगर आपको ऐसा महसूस होता है कि फीड में उपयोग होने वाले तत्त्व में किसी तरह की की कोई मामूली कमी हो सकती है तो आप माइको टोक्सिन बाइंडर और साधारण टोक्सिन बाइंडर दोनों पोल्ट्री फीड में उपयोग कर सकते है !
अनेकों कंपनियों के उत्पाद बाजार में आसानी से उपलब्ध है !
एसीडीफायर -पोल्ट्री फीड फार्मूलेशन में एसीडीफायर पक्षी के विकास को बढ़ाता है ! एसीडीफायर फीड में हानिकारक तत्वों को बढ़ने से रोकते है और और फीड के पोषक तत्वों को पक्षी को बेहतर उपलब्ध कराते है ! और फीड की पाचन क्षमता भी बेहतर करते है ! फीड में हानिकारक बैक्टीरिया की ग्रोथ कम होने से पोल्ट्री फार्म पर मृत्यु दर भी कम हो जाती है !
लीवर टॉनिक -लीवर टॉनिक हर्बल ,और कृत्रिम ( सिंथेटिक ) दोनों ही लीवर टॉनिक के तौर पर उपलब्ध होते है ! लिवर टॉनिक पक्षी के शरीर से हनिकारक विषैले पदार्थों को बेहतर तरीके से निकालने में मदद करते है ! इसलिये पोल्ट्री फीड फ़ॉर्मूलें में हर्बल या ट्राईकॉलिन क्लोराइड वाला सिंथेटिक लीवर टॉनिक जरूर डालना चाहिये ! इससे पक्षी का विकास बेहतर होता है और पक्षी क़म फीड खाकर अधिक वज़न देता है !
एंटीकोक्सीडियल्स – एंटीकोक्सीडियल्स पोल्ट्री फ़ीड में डालने से कोक्सी जैसी गंभीर बीमारी को दूर रखने में मदद करते है ! बीमारियों को दूर रखने में मदद करते है ! इसलिये इन्हे पोल्ट्री फीड में ध्यान से उपयोग में लाना चाहिये ! सभी मुख्या बातें इसमें बता दी जाएंगी !
मुख्य तौर पर एंटीकोक्सीडियल्स निम्न प्रकार के होता है !
केमिकल एंटीकोक्सीडियल्स- इनको केमिकल से बनाया जाता है ! इसलिए इन्हे केमिकल एंटीकोक्सीडियल्स कहा जाता है !जैसे
रोबेनडिन
एथोपेबेट
क्लोपिडोल
डायक्लोजुरिल
निकारबेजिन और अन्य !
आयनोफॉर !
a ) मोनोवेलेंट आयनोफॉर
b ) मोनोवेलेंट ग्लाईकोसाइड आयनोफॉर
c ) डायवेलेंट आयनोफॉर
d ) दो तरह के एंटीकोक्सीडियल्स का मिश्रण !
मोनोवेलेंट आयनोफॉर – जैसे मोनेनसिन , नेरेसिन ,और सेलेनोमाइसिन !
मोनोवेलेंट ग्लाईकोसाइड आयनोफॉर– जैसे मदुरामायसिन ,समुद्रामायसिन
डायवेलेंट आयनोफॉर– लासालोसिड सोडियम
दो तरह के एंटीकोक्सीडियल्स का मिश्रण ! -जैसे नेरेसिन और निकारबेजिन का मिश्रण या मदुरामायसिन और निकारबेजिन का मिश्रण !
कुछ पोल्ट्री किसान सिर्फ एक ही तरह का एंटीकोक्सीडियल्स पूरे ब्रायलर फीड के प्री स्टार्टर, स्टार्टर ,और फिनिशर पोल्ट्री फीड में उपयोग करते है ! , और अंत में पक्षी निकालने से पहले अंत में कुछ दिन एंटीबायोटिक और एंटीकोक्सीडियल्स बंद कर देते है इससे खर्चा भी बचता है और उस चिकन को उपयोग करने वालों को नहीं कोई नुकसान नहीं होता !
एंटीकोक्सीडियल्स उपयोग करने के सही तरीके ! –
A )सीधा तरीका | -अनेकों फीड बनाने वाले और अनेकों पोल्ट्री किसान इस तरीके को उपयोग में लाते है !
जिसमे शुरुवात प्री स्टार्टर ,स्टार्टर से फिनिशर पोल्ट्री फीड तक एक ही एंटीकोक्सीडियल्स उपयोग में लाया जा जाता है ! मैं इस तरीके को पसंद नहीं करता !
B ) शटल तरीका – इस तरीके में प्री स्टार्टर ,स्टार्टर पोल्ट्री फीड में अलग और फिनिशर पोल्ट्री फीड में अलग एंटीकोक्सीडियल्स दिये जाते है ! इस तरीके को शटल तरीका कहते है और ज्यादातर ब्रायलर फ़ीड बनाने वाले पसंद करते है ! मैंने इस तरीके को ज्यादा प्रभावी देखा है !
एंटीकोक्सीडियल्स का रोटेशन -इस तरीके का मतलब है ! की कुछ वक़्त एक तरह के एंटीकोक्सीडियल्स उपयोग करने के बाद बंद कर देने चाहियें और अन्य तरह के एंटीकोक्सीडियल्स उपयोग करने चाहियें ! इससे कोक्सी का दुष्प्रभाव कम होता है !
बरसात और बेहद सर्दियों में बिछावन ज्यादा गीली हो जाती है जिस वजह से कोक्सी आने की संभावना ज्यादा होती है उस वक़्त दो
(2) एंटीकोक्सीडियल्स का मिश्रण स्टार्टर और फिनिशर फीड में ज्यादा प्रभावी देखा गया है !
गर्मियों में आयनोफॉर का उपयोग स्टार्टर और फिनिशर फीड में प्रभावी देखा गया है !
थोड़े शब्दों में शटल तरीका और मौसम के हिसाब से एंटीकोक्सीडियल्स उपयोग में लाने ज्यादा प्रभावी होते है !
आंतो पर बेहतर काम करने वाले एंटीबायोटिक -अगर ब्रायलर पक्षी की आंतें सही है तो ब्रायलर का विकास बहुत अच्छा होता है ! और ब्रायलर पक्षी की आंत ही उसकी ज्यादातर बीमारियों से लड़ने की क्षमता विकसित करने के लिये जिम्मेदार होती है ! इसलिए आँतों की किसी बिमारी को दूर करने के लिये
आंतो पर बेहतर काम करने वाले एंटीबायोटिक उपयोग में लाये जाते है !
ज़िंक बेसिटरेसिन (ZB) ,बेसिटरेसिन मिथाइलीन डाई सैलीसाईंलेट (BMD) जैसे एंटीबायोटिक दिये जाते है ! ये आसानी से मुर्गी की दवाइयों की दुकान में मिल जाते है ! इसके अलावा आंतो पर बेहतर काम करने वाले अनेकों अन्य एंटीबायोटिक भी आसानी से उपलब्ध है !
हर तरह के बैक्टीरिया पर काम करने वाले एंटीबायोटिक- पोल्ट्री में एंटीबायोटिक पक्षी को स्वस्थ रखते है और बैक्टीरिया को भोजन श्रृंखला में आने से रोकते है ! एंटीबायोटिक से पक्षी स्वस्थ रहता है अनेकों बीमारियों से बचा रहता है !
क्लोरटेट्रा साइक्लीन जैसे एंटीबायोटिक पोल्ट्री फीड में मिलाये जाते है ! क्लोरटेट्रा साइक्लीन जैसे
अनेकों एंटीबायोटिक भी बाजार में आसानी से उपलब्ध है !
क्लोरटेट्रा साइक्लीन जैसे हर तरह के बैक्टीरिया पर काम करने वाले एंटीबायोटिक भी कुछ वक़्त के बाद बदलते चाहियें ! इससे भी परिणाम बेहतर होते है !
सी आर डी जैसी बीमारियों पर काम करने वाले एंटीबायोटिक – पोल्ट्री में टेलोसीन , एरिथ्रोमाइसीन ,टॉयमुलीन जैसे सी आर डी जैसी बीमारियों पर काम करने वाले एंटीबायोटिक उपयोग में लाये जाते है !
ज़ायलानेस ( Xylanase)– ज़ायलानेस ( Xylanase) से फीड की पाचन क्षमता काफी बढ़ जाती है !
इससे कईं बार पोल्ट्री फार्म पर पतली बीटों की समस्या भी कम देखी गयी है ! जिस वजह से बिछावन कम गीला होने से अमोनिया गैंस कम बनती है ! और साँस सम्बंधित बीमारियाँ कम आती है !
फाइटेज़ – फाइटेज़ एक तरह का एंजाइम है ! जिसे फीड में डालने से ब्रायलर पक्षी को फॉस्फोरस की उपलब्धता बढ़ जाती है ! इससे फ़ीड की लागत काफ़ी काम हो जाती है !
बाज़ार में 2500 I.U, 5000 I.U.और 10,000 I.U वाले फाइटेज़ उपलब्ध है ! आप निर्माता कंपनी के बताई डोज़ के अनुसार फाइटेज़ पोल्ट्री फ़ीड में मिला सकते है ! आप फाइटेज़ की डोज़ को 1.5 से 2
गुणा तक भी बढ़ा सकते है !
उदाहरण के तौर पर अगर फाइटेज़ की डोज़ 100 ग्राम है तो आप 150 से 200 ग्राम फाइटेज़ पोल्ट्री फीड में डाल सकते है !
कॉपर सल्फेट ( नीला थोथा ) – नीला थोथा डालने से फ़ीड में फंगस की समस्या कम होती है और हानिकारक तत्वों की वृद्धि भी फ़ीड में कम होती है ! कॉपर सल्फेट डालने से पोल्ट्री फ़ीड की FCR बेहतर देखी गयी है !
प्रोबिओटिक्स -प्रोबिओटिक्स अच्छे बैक्टीरिया होते है ! जैसे दही में अच्छे बैक्टीरिया होते है , ये ब्रायलर पक्षी को आँतों की बीमारियों से सुरक्षित रखने में मदद करते है ! आपको अच्छी कंपनी के प्रोबिओटिक का मिश्रण जिसमे अनेक तरह के प्रोबिओटिक होते है , वही पोल्ट्री फीड में मिलाने चाहियें ! प्रोबिओटिक्स हमेशा साफ़ सुथरी जगह और गर्मी और सूर्य की सीधी रौशनी से दूर रखने चाहियें !
ईमलसीफायर-ईमलसीफायर डालने से पोल्ट्री फ़ीड में डलने वाले तेल के पाचन में बेहद वृद्धि होती है ! जिससे बहुत अच्छे परिणाम मिलते है !
एंटी ऑक्सीडेंट्स -एंटी ऑक्सीडेंट पोल्ट्री फ़ीड की गुणवत्ता को बनाये रखने में मदद करता है ! पोल्ट्री फ़ीड में तेल डलता है , जिससे बहुत जल्द उसमे फंगस लग सकती है ! जो पोल्ट्री के पक्षी को बीमार कर सकते है ! एंटी ऑक्सीडेंट डालने से पोल्ट्री फीड आसानी से खराब नहीं होता और पक्षी को अप्रत्यक्ष रूप से अन्य फ़ायदे भी देता है !
मोस (MOS- ( Mannanoligosaccharides)– मोस प्रीबीओटिक्स का काम करता है और पक्षी की बीमारियों से लड़ने की क्षमता को भी बढ़ाता है ! यह फ़ीड में मौजूद नुक्सान देने वाले तत्वों से भी बचाता है !
हल्दी पॉवडर -ऐसा पाया गया है , ब्रायलर पोल्ट्री फ़ीड में हल्दी डालने से अन्य फ़ीड की तुलना में मृत्यु दर कम होती है ! और इसका कोई दुष्परिणाम भी नहीं होता ! उन किसानों के लिये ये बहुत फायदेमंद है ,जो पोल्ट्री फ़ीड में एंटीबायोटिक नहीं डालते या नहीं डाल पाते !
बीटेन -ऐसा पाया गया है , जो पोल्ट्री किसान गर्मियों में पोल्ट्री फ़ीड में बीटेन मिलाते है उनके परिणाम बेहतर आते है ! बीटेन पक्षी में गर्मियों के तनाव को कम करता है !
पोल्ट्री में डलने वाले सभी उत्पाद इन्हे बनाने वाले निर्माताओं के हिसाब से डालने चाहियें , क्योंकि प्रत्येक कंपनी की हर उत्पाद की डोज़ अलग हो सकती है !
पोल्ट्री फीड बनाते वक़्त जरूरी सावधानियां !
1 – हर दवा या पोल्ट्री सप्पलीमेंट के निर्माता की अलग अलग उत्पाद की अलग अलग डोज़ होती है उनके द्वारा बतायी गयी डोज़ को सही प्रकार मानना चाहिये ! निम्नलिखित उत्पाद की डोज़ निर्माताओं द्वारा बतायी डोज़ का पालन करना चाहिये ! जो सही मात्रा जो फीड में मिलानी होती है , वो अधिकतम और निम्नतम दोनों बताते है !
2 – पोल्ट्री फार्म पर प्री स्टार्टर फीड 400 ग्राम होने तक और स्टार्टर पोल्ट्री फीड 1200 ग्राम तक और फिनिशर पोल्ट्री फीड पक्षी के निकल जाने तक उपयोग करना चाहिये !
3 -पोल्ट्री फार्म पर हर प्रकार का स्टॉक एडवांस में होना बहुत जरूरी है !
4 -हमेशा पोल्ट्री फीड और पोल्ट्री फीड में लगने वाले उत्पाद सूखी और धुप से दूर जगह पर रखने चाहियेँ !
5 -कुछ एंटी बायोटिक अन्य एंटी कोक्सीडियल से मिलकर रिएक्शन करते है ! जैसे सेलेनोमाईसिन ,मोनेनसिन ,नेरेसिन जैसे एंटीकोक्सिडियल्स टॉयमुलीन के साथ रिएक्शन करती है !
टायमूलिन का उपयोग बहुत सावदानी से करना चाहिये !
6 -पोल्ट्री फीड को मिलाने के लिये अच्छा मिक्सर की मदद लेनी चाहिये ! कस्सियों से मिलाने पर सभी कुछ नहीं मिल पाता और अच्छे परिणाम नहीं मिलते !
7 -फाईटेज एंजाइम की मात्रा 1.5 गुना तक बढ़ाई जा सकती है ! इससे भी अच्छे परिणाम मिलते है !
8 -पोल्ट्री फीड की पिसाई अच्छे से होनी चाहिये ! पोल्ट्री फीड के मोटे दाने बेहतर तरीके से नहीं पच पाते !
9 – पोल्ट्री फीड सही से मिलाना चाहिये पोल्ट्री फीड में सभी उत्पाद और तेल पहले अलग से कुछ फीड में मिला लेने चाहियें ! फिर सारे फीड में मिलाना चाहिये!
10 -पोल्ट्री फीड बनाते वक़्त ये ध्यान रखें कि कोई भी सामान छूट ना जाये !
11 – प्रत्येक एंटी बायोटिक और एंटी कोक्सीडियल का कुछ दिन का समय होता है जिसे पक्षी बेचने से पहले पोल्ट्री फीड से हटाना पड़ता है ! अपने देश या जगह के कानून के हिसाब से आप फैंसला ले सकते है !
12 -पोल्ट्री फीड में डलने वाले प्रत्येक उत्पाद की एक्सपायरी तारिख जरूर चैक कर लेनी चाहिये !
13 -प्रत्येक उत्पाद हमेशा प्रतिष्ठित कंपनी का ही होना चाहिये !
14 -शुरुवात के कुछ दिन आपको क्रंब्स फीड ही उपयोग में लाना चाहिये !
15-एक तरह के फीड को दुसरे तरह के फीड पर शिफ्ट करने से पहले क्रम्ब्स फीड को मैश फीड के साथ 50 %-50 % मिला देना चाहिये ! और कम से कम यही मिला हुआ फीड 1 दिन देने के बाद ही दूसरी तरह के फीड पर शिफ्ट करना चाहिये !
16-आधारभूत सामान जैसे सोयाबीन की खली ,मक्का ,और तेल खरीदने से पहले गुणवत्ता की अच्छी तरह से जांच कर लेनी चाहिये ! सामान हर तरह की फंगस से मुक्त और सूखा होना चाहिये ! खरीद करते वक़्त सख्त पैमाने का उपयोग करना चाहिये ! मक्की में नमी 14 प्रतिशत से कम और सोयाबीन की खली में लगभग 11 प्रतिशत तक ही बेहतर है !
17 -कभी भी पोल्ट्री फार्म पर फीड इकट्ठा करने के लिये बोरियां किसी अन्य स्थान उपयोग हुई पुरानी नहीं खरीदनी चाहिये ! हमेशा नयी बोरिया ही खरीदें ताकि किसी अन्य स्थान की बीमारी आपके पोल्ट्री फार्म पर ना आ जाये !
18-आप जो भी फीड प्रीमिक्स उपयोग में ला रहे है ! अगर उसमे सेलेनियम, बायोटिन और क्रोमियम विटामिन C या विटामिन E नहीं है तो आप अलग से फीड में निर्माता कंपनी के बताये गये डोज़ के हिसाब से ज़रूर मिलायें ! अगर पक्षी गर्म जगह जगह या अति गर्मी में पाला जा रहा है निर्माता कंपनी के बताये गये डोज़ के हिसाब से तो बीटेन भी फीड में मिलायें !
बीटेन पक्षी के मॉस और सीने में माँस की % में वृद्धि भी करता है !
19 -एंटी बायोटिक अपने देश के कानून के हिसाब से उपयोग में लाने जरूरी होते है !
20 -एंटी बायोटिक डॉक्टर की सलाह से उपयोग में लाने चाहियें !
22 – एंटी बायोटिक भी कुछ बैच निकल जाने पर बदल देने चाहियें !
22 – एंटी कोक्सीडियल कुछ बैच निकल जाने पर बदल देने चाहियें !