एक अच्छा मुनाफे वाला पोल्ट्री फार्म चलाने के लिए प्रबंधन ( मैनेजमेंट ) बेहतर होना जरूरी है ! और ये चूज़े आने से पहले ही शुरू हो जाना चाहिए !
आपको सबसे पहले एक रूपरेखा बनानी है ताकि हर बात को तरीके से चेक किया जा सके !
पोल्ट्री फार्म पर उपयोग होने वाले उपकरण – चूज़े आने से पहले सभी उपकरण और पर्दे अच्छी तरह से चेक करने जरूरी है ! ख़ास तौर पर सभी ड्रिंकर्स ! क्योंकि किसी भी तरह की लीकेज बड़े नुक्सान का कारण बन सकती है !
गर्मी बनाने वाले उपकरण – हीटर या किसी भी तरह के गर्मी बनाने वाले सिस्टम का उपयोग आप करते है! वो भी चेक कर लें ताकि चूज़े आने के बाद किसी खराबी को पहले ही पता लगाया जा सके !
तापमान नियंत्रण !
चूज़े आने से पहले ही तापमान नियंत्रण करना जरूरी होता है ! ये निर्भर करता है आपका पोल्ट्री फार्म किस वातावरण में है और बाहरी तापमान कितना है !
चूँकि चूज़े शरुवात में 5 दिन तक अपने शरीर की गर्मी को बनाये रखने की क्षमता बिल्कुल नहीं रखते ! और ये क्षमता 14 दिनों तक पूरी विकसित भी नहीं होती !
बिछावन के सही तापमान और पोल्ट्री शेड का सही तापमान चूजों को सही तापमान बनाये रखने में मदद करते है ! अगर ऐसा करने में कोई कमी रह जाती है तो चूज़े इकट्ठे होने कलागते है ! और फीड और पानी नहीं लेते जिससे मृत्यु दर बेहद बढ़ सकती है ! और आपके पोल्ट्री फार्म पर कभी भी सही परिणाम नहीं मिलेंगें !
इसलिये जमीन के नज़दीक और हवा का तापमान 32 °C (95°F) होना जरूरी है !
पहले सात दिनों तक 90-95 Degree Fahrenheit तापमान रखने से चूजों पर तनाव कम होता है और बीमारियां कम होने की सम्भावना होती है !
और चूजे आने पहले ही ये तापमान बना हुआ होनी चाहिये !कुछ पोल्ट्री किसान थर्मामीटर को ज़मीन से काफी ऊँचा रखते है ! या कुछ लोग अंदाजे से तापमान नियंत्रित करने की कोशिश करते है ! ये गलत तरीका है !थर्मामीटर को जमीन के साथ से ही तापमान नोट करना चाहिये !सही तापमान ना बनाने पर फीड की खपत बिना किसी अन्य फायदे के बढ़ जाती है ! जिससे आर्थिक नुक्सान बढ़ता है !
बरसात के दिनों में तेज हवायें तेज हवायें पोल्ट्री फार्म का तापमान तेजी से कम कर सकती है ! इसलिए बरसात के दिनों में आपको अत्यंत सावधानी रखनेी होती है !! पर्दों का प्रबंधन अत्यंत मत्वपूर्ण है ! क्योंकि किसी वजह से तेज हवाओं की वजह से परदे खिसके या ठंडी हवायें पोल्ट्री फार्म के अंदर आयी तो तापमान बिगड़ सकता है ! पहला हफ्ता 95 Degree Fahrenheit तापमान बेहतर होता है !
कुछ पोल्ट्री किसान इंफ्रारेड बल्ब का इस्तेमाल चूजों को गर्मी देने के लिये करते है ! एक 250 वाट का बल्ब 100 चूजों के लिए तापमान बनाये रखने के लिए काफी होता है !
तापमान बनाये रखने के लिये आप डीज़ल ,गैस या लकड़ी से गर्मी पैदा करने वाली बुखारी उपयोग में ली जा सकती है बशर्ते पोल्ट्री शेड में धुआं ना हो ! थोड़े चूज़ों के लिये बिजली से चलने वाले हीटर भी उपयोग किये जा सकते है !
कोई भी तरीका आप पोल्ट्री शेड को गर्म करने के लिए उपयोग करें ! पर ये ध्यान दें कोई भी सिस्टम खराब हो जाए आप उसे बदलकर तुरंत दूसरा लगा सकें !
चूजों को पोल्ट्री फार्म पर छोड़ते वक़्त से लेकर पहले कम से कम 7 दिनों तक पूरी निगरानी करनी चाहिये या किसी अन्य अनुभवी व्यक्ति को नियुक्त करें !
चूजों के व्यवहार पैर पैनी नज़र रखें ! और देखते रहें कि कहीं चूजें इकट्ठे तो नहीं हो रहे !
अगर चूज़े हांफ रहे हो तो वो 5 ग्राम तक अपने शरीर की नमी 24 घंटों में खो देता है ! और निर्जलीकरण ( डिहाइड्रेशन ) का शिकार हो सकता है !
अगर आप पोल्ट्री फार्म पर निप्पल सिस्टम उपयोग करते है ! तो ये चूज़े आने से पहले ही हर निप्पल को चेक कर लें कि हर निप्पल पर 1 बूँद पानी दिख रही हो या हर निप्पल सही काम कर रहा हो !
निप्पल सिस्टम भी अच्छी तरह से अच्छे डिसइंफेक्टेंट से साफ़ किये हों हर और किसी भी दुर्गन्ध से मुक्त होने चाहियें ! कहीं भी किसी पानी की लीकेज को भी चेक करना जरूरी है !
आद्रता – Relative Humidity.( RH )
अगर हवा में आद्रता 6 0 प्रतिशत है तो आद्रता 6 0 % मानी जाएगी ! चूजों को शुरू के 3 दिन तक 60 प्रतिशत आद्रता बहुत बेहतर मानी जाती है ! आद्रता सही रखने से चूजे निर्जलीकरण ( डिहाइड्रेशन ) का शिकार कम होते है ! आवश्यकता से अधिक तापमान पर चूज़े हांफने लगते है ,
हांफने से चूजे शरीर के तापमान को कम करने की कोशिश करते है ! जिससे उनकी काफी ऊर्जा ख़त्म होती है !
और आद्रता को बड़ा दिया जाए तो चूजों के हांफने की प्रक्रिया कम हो जाती है ! और बहुत अच्छी ग्रोथ मिलती है ! अगर आद्रता 40 -50 % तक कम हो जाये तो पोल्ट्री शेड का वातावरण सूखा और धुल भरा हो जाता है ! जिससे सांस से सम्बंधित बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है ! चूजा सुस्त सा होने भी लगता है !
चूज़े आने से पहले सभी फीडर खूब अच्छे से अच्छे डिसइंफेक्टेंट से साफ़ होने चाहिए ! और पूरी तरह से सूखे होने चाहियें ! शुरू के कम से कम 7 दिन तक जिन डिब्बों में चूज़े आये उन्ही में ही फीड दे सकते है ! या फीड की ट्रे भी उपयोग में ला सकते है ! जो 50 चूजों में 1 के हिसाब से होने चाहिये ! फीडर हमेशा एक ड्रिंकर के बाद एक फीडर होना चाहिये ! और फीडर कभी भी बिना फीड के ना हों ! किसी ख़ास वक़्त को छोड़कर वो अलग से बात करेंगें !
पानी के ड्रिंकर कभी भी पोल्ट्री फार्म पर गर्मी बनाने वाले साधनों के नज़दीक ना हों !
चूजों हमेशा एक वक़्त में एक ही उम्र के होने चाहियें !पोल्ट्री फार्म पर चूजे आने पर तुरंत ही उनको छोड़ देना चाहिए ! ताकि तुरंत ही चूजों को पानी या फीड मिल जाये ! चूज़े नज़दीक की हैचरी से मंगवाने ज्यादा बेहतर होते है और जिस गाडी से आयें अगर उसमे सही तापमान नियंत्रण हो तो ही बेहतर होता है !
चूजों को बहुत सावधानी से पूरी जगह फैला कर छोड़ना चाहिए !
वायु संचालन -वायु संचालन में सही तापमान बनाये रखना जरूरी होता है ताकि पोल्ट्री फार्म पर पक्षी का बेहतर विकास हो ! और साथ में हवा की गुणवत्ता बनाये रखना भी जरूरी है !
क्योंकि चूजें थोड़ी सी भी गन्दी हवा जैसे अमोनिया से युक्त हवा के संपर्क में आने से भी तनाव मैं आकर बीमार हो सकते है !
आप इस बात से अंदाजा लगाइये कि चूज़े अधिक अमोनिया गैस बनने से 20 प्रतिशत तक की विकास में कमी कर सकते है !
वैज्ञानिक आधार पर कहें तो अमोनिया का स्तर 20 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिये !
सामान्य तरीके से बात करें तो आपको पोल्ट्री फार्म पर आपको आँखों में जलन और सांस लेने में दुर्गन्ध या परेशानी महसूस नहीं होनी चाहिये ! इसलिए सर्दियों में जूट और प्लास्टिक का मोटा पर्दा उपयोग में लाना चाहिए ताकि प्लास्टिक का पर्दा कुछ हटाकर जूट के परदे से गैंसें पोल्ट्री फार्म से बाहर निकाल सकें ! या पोल्ट्री फार्म के भीतरी हिस्से से हवा प्रदान करना ज्यादा बेहतर होता है !
छोटे चूजों के ड्रिंकर का प्रबंधन !- छोटे चूजों के ड्रिंकर बहुत अच्छे से किसी डिसइंफेक्टेंट से साफ किये हुए और बिना किसी दुर्गन्ध के होने चाहियें !
ये ध्यान रखें कि , पानी कभी भी ख़त्म नहीं होना चाहिये !
पानी का स्तर बेहतर तरीके से संभालना चाहिये ! ताकि चूजे भागते दौड़ते वक़्त पानी पोल्ट्री फार्म पर ना बिखेरें ! और पोल्ट्री फार्म की बिछावन खराब ना हों ! पोल्ट्री फार्म पर ड्रिंकर्स का लेवल सही होना ज़रूरी है ! और फर्श से ऊपर होना भी जरूरी है !
अगर बेल ड्रिंकर उपयोग में ला रहे है तो उनका पानी का स्तर भी नियमित रूप से अच्छे से चेक करना जरूरी है ! और रोज़ाना साफ़ करना भी जरूरी है !
बेल ड्रिंकर कभी कभी लीक होने लगते है या पानी पोल्ट्री शेड पर गिराने लगते है इससे भी बचना जरूरी है !
अगर आप निप्पल सिस्टम का उपयोग करते है तो ध्यान रखें पहले 2 -3 दिन स्तर चूजों की आँखों के लेवल तक और बाद लगभग चूजों के सर की ऊंचाई तक होना चाहिये !
प्रेशर भी चेक करना जरूरी है और ये सुनिश्चित कर लें ,कि हर निप्पल पर एक बूँद पानी जरूर आ जाये ! ये सुनिश्चित करते रहें कि चूजों के पैर पानी पीते वक़्त जमीन से ऊपर ना उठाने पड़ रहे हों !
चूजों की जांच करना–
चूजों की सही जांच करने से भी प्रबंधन में मदद मिलती है ! चूजों को लगभग 2 घंटों के बाद आप पूरे शेड में अलग अलग जगह से 50 चूज़े चुन लें ! और चूजों के पंजे चेक करें कि कहीं पंजे ठन्डे तो नहीं है ! अगर ऐसा होता है तो ये ठीक नहीं होता तुरंत तापमान के और बढ़ाने की जरूरत है ! या ये समझें कि चूज़े आने से पहले तापमान सही तरीके से नहीं बनाया हुआ था !
ये ध्यान दें कि कहीं चूज़े इकट्ठे होने की कोशिश तो नहीं कर रहे ! अगर ऐसा है तो भी तापमान को बढ़ाने की जरूरत होती है !
ब्रूडिंग गोल सरंचना !
चूजों की ब्रूडिंग गोल में सरंचना करना ज्यादा बेहतर होता है ! चूज़े आने से पहले गोल फाइबर या लोहे की लगभग 1. 5 ऊँची और 6 फुट गोल जगह बनानी चाहिये ! अखबार की कईं परते बिछावन के ऊपर होने से भी बेहतर परिणाम देखे गए है ! इससे चूजों को साफ माहौल मिलता है ! और चूजे जमीन की गन्दगी भी मुँह में नहीं डाल पाते ! इससे चूजों के तापमान नियंत्रित करने और अधिक ध्यान देने में मदद मिलती है !
क्योंकि अगर तापमान सही तरीके से नियंत्रित नहीं किया गया तो आप कभी भी मुनाफा नहीं कमा पायेंगें !
गोल ब्रूडिंग करने के लिये आप फाइबर की या लोहे की शीट उपयोग में ला सकते है !
परन्तु लोहे की शीट अधिक शोर करती है और भारी होती है ! और जंग भी लग जाता है इसलिए फाइबर की शीट ज्यादा बेहतर होती है !
इसकी ऊंचाई 1 . 5 फ़ीट से 2 फ़ीट काफी हो जाती है !
बिछावन पर अखबार – बिछावन पर कम से कम 2 -3 अखबार की परतें जरूर हों ,क्योंकि चूजों की आदत होती है वह शुरुवात के कुछ दिन बिछावन को भी खा सकते है जो नुक्सानदायक है !
इसलिये कम से कम 2 -3 परतें अखबार की जरूर बिछानी चाहिए ! यह चूजों के लिए फायदेमंद है !
अगर आपको चूजे छोटे प्राप्त होते है जो पेरेंट पक्षी शुरुवाती दौर में छोटे अंडे देता है उसके चूज़े कुछ छोटे होते है उस अवस्था में चूजों को तापमान 1 डिग्री अधिक देना चाहिए !