सबसे पहले आपको यह पता होना जरूरी है , कि दोनों तरह की पोल्ट्री में नुक्सान का खतरा हो सकता है ! लेकिन ब्रायलर पोल्ट्री में नुक्सान की आशंका अधिक होती है ! ऐसा इसलिये है , पोल्ट्री फार्म में वायरल या बैक्टीरियल बीमारी कभी भी आ सकती है और वही सबसे बड़े नुक्सान का कारण बन सकता है !
लेकिन अपने पिछले 20 सालों में मैंने यह पाया है की 99 % लेयर ( अंडे देने वाली मुर्गी ) पोल्ट्री फार्म में कामयाब रहे है और बेहद अच्छा कमाया है ! पूरी बात समझें नहीं तो आप भी नुक्सान खाने वाले 1 % में जा सकते है !
परन्तु अन्य बातें ध्यान रखने की जरूरत है ताकि सभी पहलु समझ कर सही जानकारी प्राप्त हो ! ब्रायलर और लेयर पोल्ट्री में लाभ प्रत्येक व्यक्ति को अनेक कारणों से अलग अलग हो सकता है !
1 -पूँजी की व्यवस्था !
2 -जमीन की उपलब्धता और स्थान !
3 -श्रमिकों की व्यवस्था
4 -बीमारियां और प्रबंधन !
ब्रायलर पोल्ट्री में लेयर पोल्ट्री की तुलना में कम पूँजी की आवश्यकता होती है ! और 1 साल में 5 बार आप पोल्ट्री फार्म पर पक्षी डाल कर बेच सकते है ! उदाहरण के तौर पर आपका ब्रायलर पोल्ट्री फार्म 10000 पक्षियों की क्षमता का है तो आप साल में 50000 पक्षी डाल सकते है ! परन्तु लेयर पोल्ट्री फार्म के लिये लगभग 1.5 साल में 1 बार ही पक्षी डलता है !
थोड़े शब्दों में आपको लेयर पोल्ट्री फार्म के लिये बेहद ज्यादा लागत की जरूरत होती है ! लेयर पोल्ट्री फार्म के लिये ज्यादा जमीन और खुद की फीड मिल की आवश्यकता होती है ! और आपके पास धन की कमी है तो लेयर पोल्ट्री फार्म शुरू करने की गलती ना करें ! आप ब्रायलर पोल्ट्री को ही अपनाएं ! .
लेयर पोल्ट्री के लिये ज्यादा श्रमिकों की जरूरत होती है ! जो हर समय पोल्ट्री पर ही रहें ! ब्रायलर पोल्ट्री फार्म के लिये ज्यादा श्रमिक नहीं चाहियें होते है !
ब्रायलर पोल्ट्री फार्म में एक कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की व्यवस्था भी होती है , जिसमे चूज़ा और फीड आपको कंपनी देती है और आपको सिर्फ मैनेजमेंट करना होता है। इस स्थिति में नुक्सान नहीं होती !
सबसे महत्वपूर्ण भाग है प्रबंधन ! अगर पोल्ट्री फार्म पर प्रबंधन सही नहीं है तो किसी भी तरह का पोल्ट्री फार्म बना लें आपको नुक्सान होना तय है !
लेकिन अगर ब्रायलर पोल्ट्री बड़े स्तर पर चला रहे है और खुद का फीड बना है तो ब्रायलर पोल्ट्री भी इस सूरत में फायदेमंद होती है !